Saturday, January 6, 2018

यूं पकड़ में आया चारा घोटाला

सबसे पहले पश्चिम सिंहभूम जिले में पकड़ में आया चार घोटाला एकीकृत बिहार के कई अन्य जिलों में भी सामने आया। कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और घोटाले ने बिहार में राजनीतिक भूचाल ला दिया।



राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार ही नहीं देश के फायरब्रांड नेता लालू प्रसाद यादव को जिस चारा घोटाले में रांची की सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है, उस मामले के सामने आने की कहानी भी बड़ी रोचक है। अविभाजित बिहार के इस बहुचर्चित घोटाले का पर्दाफाश पश्चिम सिंहभूम जिले से हुआ था। घोटाले का पर्दाफाश करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अमित खरे 1996 में पश्चिम सिंहभूम जिले में उपायुक्त के पद पर तैनात हुए ही थे। उन्होंने उपायुक्त का पदभार संभालने के बाद चाईबासा कोषागार से फर्जी निकासी की तह में जाकर मामले का खुलासा किया था।

चारा घोटाला उजागर करने वाले आईएएस अधिकारी अमित खरे इन दिनों झारखंड के विकास आयुक्त हैं

खुलती चलती गई परतें 

खरे ने 27 जनवरी 1996 की सुबह ठिठुराती सर्दी में ब्रिटिश जमाने में बने भवन के एक छोटे से कोने में स्थित ट्रेजरी, पशुपालन विभाग के दफ्तर व पशुओं के फार्म हाउस पर छापा मारा। उन्होंने बिलों को जांचना शुरू किया, तो वे चौंक गये। सभी बिलों में 99 लाख रुपए की राशि ही भरी हुई थी। सभी बिलों पर एक ही आपूर्तिकर्त्ता का उल्लेख देख वे चौंक गए। खरे ने जिला पशुपालन अधिकारी व विभाग के कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन सभी कर्मचारी भाग गए। इससे उनका संदेह गहरा गया। जब उन्होंने कैश बुक, बैंक ड्राफ्ट और दस्तावेज सम्भाले तो मामले की परतें खुलती चली गई। उन्होंने पशुपालन विभाग और उससे जुड़े सभी दफ्तरों को सील करवा दिया। बिलों के भुगतान पर रोक लगा दी। सभी दस्तावेज पुलिस थानों में सुरक्षित रखवा दिए, ताकि रिकॉर्ड्स से छेड़छाड़ न हो। सिंहभूम जैसा घोटाला एकीकृत बिहार के कई जिलों में सामने आया। कड़ी से कड़ी जुड़ती गई और घोटाले ने बिहार में राजनीतिक भूचाल ला दिया। फर्जीवाड़ा उजागर करने वाले आईएएस अमित खरे अभी झारखंड में विकास आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।

ऐसे हुई सीबीआई जांच
11 मार्च 1997 को पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई को चार माह के भीतर चारा घोटाले की जांच के निर्देश दिए थे। 19 मार्च को 1997 को उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसएन झा और एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ को सीबीआई जांच की निगरानी करने का हुकम दिया। घोटाले में उस वक्त मुख्यमंत्री रहे लालू यादव समेत 16 लोगों को कारावास की सजा सुनाई गई है। ऐसे दो अन्य मामलों में लालू के खिलाफ सीबीआई मामलों की अदालत में केस विचाराधीन है।

सजा सुनने के बाद रांची की सीबीआई अदालत से बाहर आते लालू यादव

सातवीं बार जेल गए हैं लालू
चारा घोटाले से जुड़े विभिन्न मामलों में लालू यादव 7वीं बार जेल गए हैं। सबसे पहले 30 जुलाई 1997 को वे जेल गए और 135 दिन अंदर रहे। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को 73 दिनों के लिए, तीसरी बार पांच अप्रैल 2000 को 11 दिनों के लिए, चौथी बार 28 नवंबर 2000 को एक दिन के लिए, पांचवीं बार 26 नवम्बर को 23 दिनों के लिए, छठी बार 3 अक्टूबर 2014 को 70 दिनों के लिए जेल गए। सातवीं बार वे 23 दिसंबर 2017 से जेल में हैं।

मुसीबत भरी है जनवरी लालू के लिए
लालू के लिए जनवरी का महीना मुसीबत भरा है। इसी महीने के अंत तक चारा घोटाले से जुड़े दो अन्य मामलों में  भी सीबीआई का फैसला आना है। जबकि एक अन्य मामले में आगामी मार्च में फैसला आएगा। इन सभी मामलों में लालू आरोपी है।