हाइफा युद्ध पर विशेष डाक टिकट के गहरे हैं मायने
-सुरेश व्यास
पहले विश्व युद्ध के स्वर्ण
जयंती वर्ष में इजरायल ने भारतीय फौज की बहादुरी को अनूठे ढंग से सलाम किया है।
इजरायल पहले विश्व युद्ध में लड़ी गई हाइफा की लड़ाई पर एक खास डाक टिकट जारी करने
वाला है। हाइफा युद्ध ने ही इजरायल की स्थापना के रास्ते खोले थे। इस लड़ाई में
हिन्दुस्तान की मारवाड़ रियासत के बहादुरों ने जर्मनी और तुर्की की सेनाओं को
हाइफा शहर से खदेड़ बाहर किया था। विशेष डाक टिकट में इसी बहादुर सैनिक टुकड़ी के
मुखिया मेजर दलपतसिंह शेखावत की अश्वारोही तस्वीर को प्रमुखता से उकेरा गया है।
इतना ही नहीं इस डाक टिकट पर उकेरे गए ‘जोधपुर लांसर्स’ के ऐतिहासिक प्रतीक चिह्न (लोगो) ने आधुनिक राजस्थान
के दूसरे बड़े शहर जोधपुर की ऐतिहासिक पहचान को भी दुनिया के सामने प्रतिष्ठापित
किया है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हाइफा की लड़ाई पहले विश्व
के दौरान 23 सितम्बर 1918 को हुई थी। हाइफा शहर में जर्मनी और तुर्की की फौजें घुस
चुकी थी। विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने हिंदुस्तान की मैसूर, हैदराबाद और
जोधपुर रियासतों के सैनिकों को तुर्की भेजा था। जब बात हाइफा से जर्मनी व तुर्की
की सेनाओं को खदेड़ने की आई तो संकट खड़ा हो गया। चूंकि हैदराबाद रियासत के सैनिक
मुसलमान थे, इसलिए अंग्रेजों ने इन सैनिकों को तुर्की के खलीफा के खिलाफ लड़ने से
रोक दिया। साथ ही जोधपुर व मैसूर की सैनिक टुकड़ियों को हाइफा पर चढ़ाई करने का
आदेश दिया गया। मेजर शेखावत व कैप्टन अमान सिंह जोधा की अगुवाई वाली जोधपुर रियासत
की घुड़सवार लांसर्स बटालियन ने मात्र एक घंटे में हाइफा शहर पर कब्जा कर जर्मनी व
तुर्की की सेनाओं को मार भगाया।
तलवारों-भालों से आखिरी
लड़ाई

संबंधों की नई शुरूआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की गत जून में इजरायल यात्रा के बाद से दोनों देशों के बीच सम्बन्धों में नया मोड़
दिखाई देने लगा है। वैसे तो भारत इजरायल का एक बड़ा हथियार खरीदार देश है, लेकिन
बदलती वैश्विक परिस्थितियों में इजरायल के साथ भारत के सम्बन्धों का अन्दाजा इसी
बात से लगाया जा सकता है कि इजरायल में हो रहे संयुक्त युद्धाभ्यास ‘ब्ल्यू फ्लैग-17’ में पहली बार भारतीय फौज
को भी शामिल किया जा रहा है। इस युद्ध में अमरीका, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूनान और
पौलेंड भी हिस्सा ले रहे हैं। इजरायल के उवादा एयरबेस पर 2 से 16 नवम्बर तक चलने
वाले इस युद्धाभ्यास में भारत पहली बार शामिल हो रहा है। इसके लिए भारतीय वायुसेना
का 45 सदस्यीय दल भेजा गया है। इसमें भारतीय वायुसेना के कमांडो ‘गरुड़’ भी शामिल हैं।
jindabad
ReplyDelete