Thursday, October 12, 2017

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गुजरात में चुनाव की तारीखों का एलान न कर चौंकाया चुनाव आयोग ने
-सुरेश व्यास
चुनाव आयोग ने गुरुवार को गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान नहीं करके देश की जनता को चौंका दिया। आयोग ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 9 नवम्बर को चुनाव करवाने की घोषणा की। इसके बाद से न सिर्फ राजनीतिक क्षेत्रों बल्कि सोशल मीडिया तक में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर चुनाव आयोग ने गुजरात में चुनाव की तारीखों का एलान न करने का फैसला क्यों किया। कांग्रेस सरीखी विपक्षी पार्टियां हालांकि इसे लेकर सीधे तौर पर चुनाव आयोग को निशाने पर ले रही है, लेकिन आयोग ने इसके पीछे जो तर्क दिया है, वह भी लोगों के गले नहीं उतर रहा।
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधीन कार्यरत प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो ने चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेस के लिए जो निमंत्रण दिया था, उसमें भी यह साफ उल्लेख किया गया था कि चुनाव आयोग अपराह्न 4 बजे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों का कार्यक्रम घोषित करेगा। इसी को लेकर देशभर में इंतजार भी हो रहा था, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त जोती ने सिर्फ हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों की तारीख घोषित की तो देश का चौंकना वाजिब था।
चुनाव आयोग का कहना है कि नियमानुसार उसे 45 दिन में चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल चूंकि आगामी जनवरी में खत्म हो रहा है और हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल दिसम्बर में ही खत्म हो जाएगा। इसलिए पहले वहां चुनाव करवाने जरूरी हो गए। यदि गुजरात के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा भी आज की जाती तो चुनाव प्रक्रिया में 60 दिन लग जाते। मुख्य चुनाव आयोग ने इसके लिए केंद्रीय विधि मंत्रालय के कुछ नोट भी पढ़कर सुनाए, लेकिन उनकी यह बात गले नहीं उतर रही। 
पिछली बार भी तो साथ हुई थी घोषणा
पांच साल पहले भी चुनाव आयोग ने 4 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश व गुजरात के चुनावों की तारीखों का एलान एक साथ किया था। ऐसे में सवाल उठ रहा है इस बार ऐसा क्या हो गया कि चुनाव आयोग को ऐनवक्त पर अपना फैसला बदलना पड़ा। सोशल मीडिया पर कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या चुनाव आयोग सरकार के दबाव में आ गया है? क्या प्रधानमंत्री व गुजरात की सरकार को कुछ लोकलुभावन घोषणाएं करने का वक्त देने के लिए ऐसा किया गया है?
इस बीच,स्क्रोल की एक मीडिया रिपोर्ट में एक पूर्व मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिनका नाम नहीं दिया गया है, के हवाले से कहा गया है कि आमतौर पर चुनाव आयोग इस तरह की परिस्थितयों को टालने की कोशिश करता है। पूर्व निर्वाचन आयुक्त ने चुनाव आयोग के आज के फैसले पर हैरानी भी जताई है।
कांग्रेस का आरोप
दूसरी ओर, कांग्रेस ने तो खुलकर आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक वीडियो मैसेज के जरिए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16 अक्टूबर को गुजरात के दौरे पर जा रहे हैं। यदि आज चुनाव आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देता तो मोदी को एक स्टार कैम्पेनर के तौर पर जाना पड़ता और आचार संहिता लगने के कारण वे कोई लोकलुभावन घोषणा भी नहीं कर पाते।
घबराहट तो है...!
कांग्रेस का यह खुद का नजरिया हो सकता है, लेकिन राजनीतिक प्रेक्षक भी चुनाव आयोग के फैसले से हैरान हैं। इनका मानना है कि गुजरात में पिछले 22 वर्षों से एक छत्र राज करने वाली भाजपा को इस बार कड़ी चुनौती मिल रही है। सरकार के प्रति असंतोष के अलावा जीएसटी भी भाजपा के प्रति लोगों की नाराजगी का एक कारण है। इसके अलावा गुजरात में जिस तरह पाटीदार आंदोलन ने पहले भाजपा की नींद उड़ा रखी थी, उसी तर्ज पर दलितों का असंतोष भी भाजपा के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसे भांप कर ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी लगातार लोकलुभावन घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने सवर्णों को आरक्षण के नाम पर आयोग गठित करने का फैसला तो किया ही है, साथ ही उन्होंने पाटीदारों को साधने के लिए पाटीदार आंदोलन के दौरान हुए पुलिस अत्याचारों की जांच का आदेश दिया है। इसी तरह पाटीदार नेता हार्दिक पटेल पर लगे राजद्रोह तक के मुकदमे वापस लेने की सरकार की ओर से प्रत्यक्ष और परोक्ष पेशकश की जा चुकी है। हाल ही मुख्यमंत्री रूपानी ने युवाओं का गुस्सा कम करने के लिए गुजरात में नए औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना की घोषणा करते हुए कहा कि इससे एक लाख युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया हो सकेंगे।
..ताकि मौका मिल जाए
प्रेक्षकों का कहना है कि लगातार घोषणाओं की झड़ी गुजरात में भाजपा नेताओं की चिंता को जाहिर कर रही है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर जिस तरह लोग स्वतःस्फूर्त तरीके से धूजतो गुजरातविकास गांडो थय ग्यौ जैसे कैम्पेन चला रहे हैं, जिस तरह कांग्रेस ने गुजरात को अपनी नाक का सवाल बना रहा है और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। सोशल इंजीनियरिंग की जा रही है। सोशल मीडिया पर कांग्रेस का अभियान कांग्रेस आवे छै आक्रामक हो रहा है, उससे भी भाजपा की चिंता बढ़ना लाजिमी है।

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि चुनाव आयोग का गुरुवार को गुजरात विधानसभा के चुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं करना, भाजपा के लिए एक बड़ी राहत है। हालांकि आयोग ने कहा कि गुजरात में 18 दिसम्बर से पहले चुनाव करवा दिए जाएंगे, लेकिन जब तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हो जाता, गुजरात भाजपा और गुजरात सरकार के लिए लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए नई लोकलुभावन घोषणाएं करने का मौका तो है ही।
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