Monday, December 25, 2017

रिश्तों के बीच में शीशे की दीवार!


मानवता नहीं, पाकिस्तान की नौटंकी है ये

-सुरेश व्यास

 जासूस बताकर भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को फांसी के फंदे के मुहाने तक पहुंचाने वाले पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। जाधव की मां अवंति व पत्नी चेतनकुल की जिस तरह मुलाकात करवाई गई, उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि पाकिस्तान ने इस मुलाकात के बहाने मानवीयता का मुजाहिरा किया है। जिस तरह संगीनों के साए में जाधव की मां व पत्नी को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की बिल्डिंग तक लाया गया और जिस तरह 22 महीने से पाकिस्तान की जेलों में बंद जाधव को अपनों के सामने किया गया, वह पाकिस्तान की नौटंकी से बढ़कर कुछ नहीं था। पाकिस्तान भले ही इस मुलाकात के पीछे मानवीयता की दुहाई देता रहे, लेकिन इससे बढ़कर कोई अमानवीय तस्वीर हो नहीं सकती कि मां अपने लाल के सिर पर हाथ फेरने से भी महरूम रह जाए और पत्नी मौत के मुहाने पर खड़े अपने अपने पति से नजरें दो चार न कर सके।

जाधव की मां व पत्नी की मुलाकात शीशे की दीवार बीच में रखकर करवाई गई। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारी शीशे के उस पार थे, लेकिन भारतीय राजनयिक को इस मुलाकात से इतना दूर रखा गया कि वह इनकी बात तक नहीं सुन सका। शीशे की दीवार के पीछे बैठे जाधव ने अपनी मां और पत्नी से जरिए टेलीफोन बात की। हां, वे एक दूसरे को देख जरूर सकते थे, लेकिन छू नहीं सकते।







पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मुलाकात के बाद बड़ी बड़ी डींगें हांकी। कहा कि मुलाकात के लिए आधे घंटे का वक्त ही निर्धारित था, लेकिन जाधव की मां व पत्नी की गुजारिश पर दस मिनत की अवधि बढ़ाई गई। पाकिस्तान ने यह सब मानवीयता के नाते किया। शीशे की दीवार के बारे में उनका कहना था कि सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना जरूरी था। समझ में नहीं आता कि एक मां व अपनी पत्नी से किसी ‘मुजरिम’ को क्या खतरा हो सकता है कि उन्हें आमने-सामने मुलाकात करवा पाने में नाकाम पाकिस्तान बेशर्मी ने अपनी मानवीय सोच की डींगें हांक रहा है।
 सवाल यह है कि आखिर पाकिस्तान को इस मुलाकात के लिए हामी किस मजबूरी में भरनी पड़ी? क्यों उसे जाधव की मां व पत्नी को वीजा देना पड़ा? काउंसलर एक्सेस का वादा करके भी पाकिस्तान ऐनवक्त पर पीछे क्यों हट गया? इन सवालों के पीछे न सिर्फ पाकिस्तान पर जाधव मामले को लेकर अन्तरराष्ट्रीय दबाव है, बल्कि वह मामले की सुनवाई कर रहे अन्तराष्ट्रीय अदालत- इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सामने यह साबित करने की कोशिश करना चाह रहा है कि वह वैश्विक नियमों के पालन के लिए प्रतिबद्ध है। दरअसल, पाकिस्तान के हुक्मरान अच्छी तरह जानते हैं कि जाधव के परिवार और भारतीय राजनयिकों से मुलाकात न करवाना वियना संधि का उल्लंघन है। वियना संधि के मुताबिक पाकिस्तान जाधव को काउंसलर एक्सेस देने के लिए बाध्य है, लेकिन उसने बहुत ही होशियारी के साथ इससे बचने की कोशिश की है।




           पाकिस्तान मामलों के जानकार कहते हैं कि पाकिस्तान ने एक तीर से दो शिकार करने की कोशिश की है। एक तो उसने दुनिया को यह बताने की कोशिश की है कि वह एक जिम्मेदार राष्ट्र है तो अन्तरराष्ट्रीय संधियों के तहत मानवाधिकारों का संरक्षण करने के लिए प्रतिबद्ध है, दूसरा उसने आईसीजे के सामने अपना पक्ष मजबूत करने की नाकाम कोशिश की है। वास्तव में पाकिस्तान मानवीय आधार पर इस मुलाकात का पक्षधर था तो पत्नी व मां तथा जाधव के बीच शीशे की दीवार न होती।






पाकिस्तान मामलों के एक जानकार ने कहा कि पाकिस्तान से इस मुलाकात के बहाने भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने का एक बेहतरीन मौका खो दिया है। पाकिस्तान में जिस तरह के राजनीतिक हालात बन रहे हैं और पाकिस्तानी सेना निर्वाचित सरकार पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं, उस स्थित में पाकिस्तान पूरा नहीं थोड़ा सा ही मानवीय नजरिया रखता तो रिश्तों में कुछ मिठास घोलने की दिशा में बढ़ा जा सकता था, लेकिन आज की मुलाकात के बाद भारतीय जनमानस में पाकिस्तान के प्रति कटुता और बढ़ेगी ही।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जाधव मामले में पाकिस्तान ने मां-पत्नी से मुलाकात के बारे में महज रस्म अदायगी की है। न तो इस मुलाकात में पाकिस्तान का मानवीय चेहरा सामने आ सका और न ही भारत के साथ सम्बन्ध सुधारने की उसकी मंशा।






























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