Friday, December 29, 2017

जब एक ‘बहादुर’ पड़ा था दुश्मन के लाव-लश्कर पर भारी

सुरेश व्यास
एक बहादुर की गर्जना विदा होते साल 2017 के साथ ही शान के साथ शांत हो गई। ये वो बहादुर था, जो ऊंची पहाड़ियों पर बैठे दुश्मन और उसके लाव-लश्कर पर अकेला ही भारी पड़ा था। ‘बहादुर’ की गर्जना भर से दुश्मन को दुम दबाकर भागना पड़ा।

जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान मिग-27 की, जिसकी अचूक मारक क्षमता ने भारत में उसे ‘बहादुर’ नाम से ख्याति दिलाई और यही बहादुर नाटो सेनाओं के लिए ‘फ्लोगर’ यानी सफाया करने वाला अथवा कोड़े मारने वाला कहलाया। 

भारतीय वायुसेना में रूस निर्मित यह लड़ाकू विमान 1980 के दशक में शामिल हुआ था, लेकिन इसका असली इस्तेमाल 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान के करगिल युद्ध में सामने आया। इस युद्ध में वायुसेना के ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में मिग-27 ने दुर्गम पहाड़ियों के बीच उड़ान भरकर दुश्मन के ठिकानों, सामग्री डिपो व सप्लाई मार्ग को नैस्तनाबूद कर दिया।
यूं ही नहीं कहलाए फ्लोगर
मिग यानी मिकोयान-गुरेविच विमान भारतीय वायुसेना की अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान रहे हैं। हालांकि दुर्घटनाओं के कारण इन पर सवाल भी उठे और कई बार मिग विमानों को उड़न ताबूत तक कहा गया, लेकिन ये वास्तव में तकनीकी रूप से सक्षम नहीं होते तो न इन्हें नाटो सेनाएं फ्लोगर (सफाया करने वाला) मानती और न ही ये वायुसेना में बहादुर के नाम से प्रतिष्ठापित होते।
मजबूत इंजन, अचूक निशाना
शक्तिशाली इंजन ने मिग-27 को एक खास तरह का लड़ाकू विमान बनाया। इन विमानों में लगे ऑटोमेटिक फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम, अटैक इंडीकेटर्स और इन-बिल्ट लेजर गाइडेड सिस्टम के कारण बहादुर को दुनिया का सशक्त एयर टू ग्राउंड अटैक फाइटर जेट माना गया। देश में विभिन्न मौकों पर इन विमानों ने अपनी क्षमता को साबित भी किया। करगिल युद्ध इसका प्रमुख उदाहरण माना जा सकता है।
हासिमारा में आखिरी उड़ान
वायुसेना की लगभग तीन दशक की सेवा के बाद मिग-27 उम्रदराज होकर विदा हो रहे हैं। पश्चिम बंगाल के हासिमोरा एयरबेस से मिग-27 ने आखिरी उड़ान भरी। 

मिग-21 विमानों को चरणबद्ध तरीके से वायुसेना के लड़ाकू विमान बेड़े से विदा किया जा रहा है। अब भी देश के विभिन्न अग्रिम मोर्चों पर अपग्रेडेड मिग-27 गर्जना कर रहे हैं और अगले डेढ़ दो साल में पूरी तरह वायुसेना से विदा हो जाएंगे।
अब भी चालीस
दो साल पहले तक वायुसेना के बेड़े में अपग्रेडेड समेत 87 मिग-27 विमान थे। अवधि पूरी होने के कारण इन्हें फेज आउट किए जाने के बाद अब भी लगभग 40 मिग-27 वायुसेना के पास हैं। इन्हें धीरे धीरे सेवा से हटा लिया जाएगा, लेकिन देश के प्रमुख शहरों में इनकी डम्मी मिग-27 की गौरव गाथा को जीवंत बनाए रखेगी।

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