काफी कारगर है भारतीय थल सेना का नया फंडा
-सुरेश व्यास
भारतीय सेना ने पाकिस्तान को उसके
घर में घुसकर पीट दिया। रावलकोट इलाके में पाकिस्तानी सेना की एक अस्थाई चौकी
ध्वस्त हो गई। तीन पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। एक अब भी आखिरी सांसे गिन रहा है।
भारतीय सेना के पांच कमांडो ढाई सौ से तीन सौ मीटर तक पाकिस्तानी इलाके में घुसे।
कमांडो कार्रवाई की और दस मिनट में खेल खत्म।
यह सब 24 दिसम्बर को हुआ। पाकिस्तानी सेना ने भी
माना कि भारतीय फौज घर में घुस कर मार गई। पाकिस्तान की की प्रचार इकाई इंटर
सर्विस पब्लिक रिलेशन (आईएसपीआर) ने बाकायदा ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी। (हालांकि
अब पाकिस्तान इससे मुकर रहा है और कहा जा रहा है कि उसके सैनिक लैंडमाइन ब्लास्ट
यानी बारूदी सुरंग फटने से मारे गए।) घर में घुसकर पाकिस्तानी फौज को मारने की इस
घातक कमांडो कार्रवाई को लोग भी सर्जिकल स्ट्राइक मानते रहे। लेकिन, यह सर्जिकल स्ट्राइक नहीं सलेक्टिव टारगेटिंग थी। सलेक्टिव टारगेटिंग यानी
फौजी भाषा की नई टर्म।
टिट फॉर टेट
दरअसल, सलेक्टिव टारगेटिंग भारतीय सेना का 'टिट फॉर टेट' (जैसे को तैसा) एक्शन था। पाकिस्तानी
सेना की बॉर्डर एक्शन टीम (बेट) ने 23 दिसम्बर को कश्मीर के
राजौरी सेक्टर में घात लगाकर हमला किया। एक मेजर समेत चार भारतीय शहीद हुए। भारतीय
सेना ने सलेक्टिव टारगेटिंग की और पाकिस्तान से हाथों हाथ बदला ले लिया।
‘घातक कार्रवाई’
भारतीय सेना की एक यूनिट के घातक
दस्ते ने यह कार्रवाई की। हर सैन्य यूनिट में ऐसे घातक दस्ते होते हैं। इसके
प्रशिक्षित कमाण्डो तुरंत कार्रवाई करते हैं। फिर लौट आते हैं। इस तरह के एक्शन का
फैसला भी स्थानीय स्तर भी होता है। पाकिस्तान में ढाई सौ-तीन सौ मीटर अंदर जाकर मार
करने का सलेक्टिव टारगेटिंग एक्शन भी इसी का नतीजा था। सेना की 25वीं डिविजन के स्तर पर फैसला हुआ और
कार्रवाई अंजाम दे दी गई। डिविजनल मुख्यालय के निर्देश पर घातक कमांडों ने
पाकिस्तान सेना की 2-पीओके ब्रिगेड की 59वीं बलूच यूनिट के सैनिकों को मार गिराया। चौकी ध्वस्त कर डाली।
बहुत कारगर तरीका
रक्षा विशेषज्ञों की राय में
पाकिस्तान की हरकतों का जवाब देने के लिए सलेक्टिव टारगेटिंग एक कारगर तरीका है।
सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम के लिए सेना मुख्यालय की अनुमति लेनी पड़ती है। इसमें
स्थानीय स्तर पर ही फैसला हो जाता है। सलेक्टिव टारगेटिंग के ताजा मामले से
पाकिस्तान को सबक लेना चाहिए। भारतीय फौज ने पिछले कुछ समय से 'टिट फॉर टेट' की
रणनीति अपना रखी है। इसके अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं। आज तक भारत ने पाकिस्तानी
सेना की बेट का बहुत कम जवाब दिया है। लेकिन टिट फॉर टेट के लिए सलेक्टिव टार्गेटिंग
की धार का लगातार इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
सकते में है पाकिस्तान
भारतीय सेना के सलेक्टिव टार्गेट
कार्रवाई से पाकिस्तान किस कदर सकते में है, इसका अंदाजा उसके रोजाना बदल रहे
बयानों से लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं,पाकिस्तान ने सकते में आकर अपने फौजियों
की मौत का मुद्दा भारत के साथ हर सप्ताह मंगलवार को होने वाली डीजीएमओ यानी
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स की बैठक में भी नहीं उठाया।
नापाक इरादों पर चोट
पाकिस्तान की सेना ने आतंक को
बढ़ावे के लिए जम्मू-कश्मीर में ही सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाई है। आज भी
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंककारियों के प्रशिक्षण शिविर चल
रहे हैं। पाकिस्तान की सेना आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए कवर फायर करती है।
हालांकि कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बलों की सख्ती के चलते आतंकियों की कमर टूटी
है। अब तक दो सौ से ज्यादा आतंकी इस साल भारतीय सुरक्षा बलों ने मार गिराए हैं, लेकिन पाकिस्तान है कि मानता ही नहीं। इसका
सबसे बड़ा सबूत इस साल पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास
लगातार तोड़े जा रहे संघर्ष विराम की घटनाओं में आई तेजी है।
रिकार्ड संघर्ष विराम टूटने का
अकेले वर्ष 2017 में संघर्ष विराम तोड़ने की घटनाओं में 230
फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले साल जहां संघर्ष विराम तोड़ने
की 228 घटनाएं हुई थी, वहीं इस साल यह
आंकड़ा बढ़कर 800 के पार जा चुका है। इन हालात में पाकिस्तान
के लिए भारतीय सेना की नई टर्म सिलेक्टिव टारगेटिंग एक अलार्म है। पाकिस्तान को
सावधान हो जाना चाहिए।
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